भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान वाइचुंग भूटिया ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि विश्वकप खेलने वाली टीमों में भारत की टीम नहीं थी। उन्होंने कहा है कि देश में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन फुटबाल खेल को आगे बढ़ाने में सरकारों का ध्यान कम है।
पलामू, संवाद सूत्र: भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान वाइचुंग भूटिया का मानना है कि भारत में फुटबाल के खेल के क्रेज में कोई कमी नहीं है। हाल ही में संपन्न फुटबाल विश्वकप के मैचों को देखने के लिए कतर में पहुंचने वाले दर्शकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय लोगों की थी। उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि खेलने वाली टीमों में भारत की नहीं थी।उन्होंने कहा है कि देश में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन फुटबाल खेल को आगे बढ़ाने में सरकारों का ध्यान कम है।
भूटिया ने शनिवार को जपला में दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि क्रिकेट को बड़ी-बड़ी कंपनियां स्पांसर करती हैं, जबकि फुटबॉल के स्पांसर्स की संख्या काफी कम है। बड़ी-बड़ी कंपनियां जब फुटबाल को स्पांसर करेगी तभी यह खेल आगे बढ़ सकता है। देश में फुटबाल की एक मजबूत टीम बनाना चैलेंज है। बच्चों को ट्रेनिंग देना, ग्राउंड बनाना और खेल का आयोजन करने में अर्थ जरूरी है। फुटबॉल के विकास के लिए सरकार को फुटबॉल नीति बनाने की जरूरत है। लोकल स्तर से लेकर देशस्तर पर प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश की जाय तो हमारी टीम भी फुटबाल विश्वकप खेल सकती है।
उन्होंने कहा कि आज भाग दौड़ की जिंदगी में महज एक घंटा तीस मिनट का खेल फुटबॉल लोगों की पहली पसंद बन सकता है। इसे गांव-शहर दोनों जगह लोग पसंद करते हैं। जिला और राज्य के फुटबॉल एसोसिएशन के अलावा सरकार को गांव-गांव में संसाधन उपलब्ध कराकर फुटबॉल को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है उन्हें अवसर प्रदान करने की, खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की और गांव स्तर पर टूर्नामेंट कराने। मैं प्रोत्साहित करने के लिए ही यहां आया हूं। वे जपला में कर्नल कप फुटबाल प्रतियोगिता के फाइनल का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
भूटिया ने कहा कि खेल विभाग और फुटबॉल एसोसिएशन को लोकल स्तर पर काम करने की जरूरत है, क्योंकि खिलाड़ी गांव स्तर से ही निकलते हैं। भारत बहुत बड़ा देश है। युवाओं की संख्या भी बहुत है। इसे बढ़ावा देने के लिए सभी को लगना पड़ेगा। खेल मैदान, स्पोर्ट्स किट उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्कूलों में खेल शिक्षकों की व्यवस्था करने की जरूरत है।
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