विभिन्न स्पोर्ट्स फेडरेशनों ने जम्मू कश्मीर की एसोसिएशनों को तकनीकी अधिकारी भेजने के लिए कहा। एसोसिएशनों ने तकनीकी अधिकारी भेजने के लिए जम्मू-कश्मीर खेल परिषद से अनुमति मांगी लेकिन खेल परिषद ने दो टूक अपने प्रशिक्षकों रेफरियों और दूसरे आफिशियलस को भेजने से इन्कार कर दिया।
जम्मू, अशोक शर्मा : कोविड के चलते वर्ष 2015 के बाद वीरवार से गुजरात में शुरू हुए राष्ट्रीय खेलों में जम्मू-कश्मीर खेल परिषद ने अपने तकनीकी अधिकारियों को वहां जाने की अनुमति नहीं दी। विभिन्न स्पोर्ट्स फेडरेशनों ने जम्मू कश्मीर की एसोसिएशनों को तकनीकी अधिकारी भेजने के लिए कहा। एसोसिएशनों ने तकनीकी अधिकारी भेजने के लिए जम्मू-कश्मीर खेल परिषद से अनुमति मांगी, लेकिन खेल परिषद ने दो टूक अपने प्रशिक्षकों, रेफरियों और दूसरे आफिशियलस को भेजने से इन्कार कर दिया।
राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में सैकड़ों तकनीकी अधिकारियों की जरूरत रहती है। ऐसे में ऐसोसिएशनों, फेडरेशनों, खेल परिषद से उम्मीद की जाती है कि आयोजन में उनका सहयोग रहेगा। प्रशिक्षकों, रेफिरियों, अंपायरों और दूसरे तकनीकी अधिकारियों को बेसब्री से ऐसे आयोजनों का इंतजार रहता है, लेकिन जब उन्हें निमंत्रण मिलने के बावजूद न भेजा जाए तो निराश होना स्वभाविक है। वहीं गुजरात में भाग लेने गए एक खिलाड़ी ने बताया कि उन्हें वहां पहुंचने पर यह पूछा गया कि जम्मू-कश्मीर ने इन खेलों से बायकाट किया है क्या। इस पर उन्हें बताया गया कि अगर बायकाट किया गया होता तो उनकी टीम वहां कैसे आती। इस पर उन्होंने कहा कि नहीं जम्मू-कश्मीर से तकनीकी अधिकारियों को तो नहीं भेजा गया है।
जम्मू-कश्मीर खेल परिषद ने ऐसे समय में तकनीकी अधिकारियों को गुजरात भेजने से इन्कार किया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो से प्रसारित मन की बात में कहा था कि वह खिलाड़ियों के बीच में रहेंगे और आप भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके साथ रहें। यानी प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इतने लंबे समय बाद हो रहे इन खेलों को सफल बनोन के लिए हर कोई सहयोग करे, लेकिन जम्मू-कश्मीर खेल परिषद ने उनकी अपील की कोई परवाह नहीं की।
एक तकनीकी अधिकारी जिसे राष्ट्रीय खेलों में बतौर तकनीकी अधिकारी आमंत्रित किया गया था, उसने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह किसी भी आफिशयल के लिए गर्व की बात होती है कि उसने ऐसे बडे़ आयोजनों में सहयोग दिया है। अंपायरिंग की, रेफरी रहा है, आफ-फील्ड प्रबंधन किया है। टाइम कीपर रहा है या कोई दूसरे जिम्मेदारी निभाई है। खेल परिषद ने अपने कर्मचारियों को गुजरात न भेज कर उनके साथ ही नहीं खिलाड़ियों के साथ भी दगा किया है। किसी भी राज्य के जितने जानकार लोग किसी प्रतियोगिता में मौजूद होते हैं।
राष्ट्रीय खेलों में कुछ न कुछ सीखने को मिलता : उसका कहीं न कहीं मैडल टैली पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे आयोजनों में भाग लेने पर तकनीकी अधिकारी की भूमिका निभाने वालों को काफी कुछ सीखने को मिलता है, जिसका आने वाले दिनों में खिलाड़ियों को लाभ मिलता है। वैसे भी जम्मू-कश्मीर खेल परिषद अपने प्रशिक्षकों को कहीं एडवांस ट्रेनिंग के लिए तो भेजती नहीं। यह सीखने का एक अच्छा अवसर था पर सचिव ने अपनी हेगड़ी दिखते हुए सभी के भविष्य से खिलवाड़ की है। कश्मीर की एक कोच ने बताया कि जब उसने जम्मू कश्मीर खेल परिषद से जाने की अनुमति मांगी तो उनका कहना था कि हमारे पास पहले से ही प्रशिक्षकों की कमी है। वह किसी को राष्ट्रीय खेलों में नहीं भेज रहे।
क्या कहते हैं अधिकारी : वहीं जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के संभागीय खेल अधिकारी अशोक सिंह ने कहा कि जिन खेलों के खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में भाग ले रहे हैं, उनके कोच साथ गए हैं। वहीं खेल परिषद के प्रवक्ता मीर जहांगीर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर खेल परिषद का कोई तकनीकी अधिकारी राष्ट्रीय खेलों के लिए नहीं भेजा गया है। ऐसा क्यों है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
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