क्रिकेट कोच गुरचरण सिंह को पद्मश्री सम्मान मिला है. (Sahil Malhotra twitter)
नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों का ऐलान हुआ. इसमें 87 साल के क्रिकेट कोच गुरचरण सिंह को भी पद्मश्री के लिए चुना गया. पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले अन्य खिलाड़ियों में कलारिप्पयट्टू के लिए सालों से काम कर रहे एस.आर.डी. प्रसाद और शानाथोइबा शर्मा शामिल हैं. गुरचरण का क्रिकरियर सिर्फ फर्स्ट क्लास क्रिकेट तक ही सीमित रहा. वो भारत के लिए नहीं खेल पाए. लेकिन, उनके शागिर्द भारत के लिए खेले. वो भी एक-दो नहीं, पूरे एक दर्जन. इतना ही नहीं उन्होंने 100 से अघिक घरेलू क्रिकेटर तैयार किए.
कीर्ति आजाद, अजय जडेजा, बाएं हाथ के स्पिनर मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक, विवेक राजदान, गुरशरण सिंह, इंटरेशनल क्रिकेट में अपनी धाक जमाने वाले यह कुछ नाम हैं, जिन्हें क्रिकेट का ककहरा गुरचरण सिंह ने सिखाया था. यह सभी खिलाड़ी अगर भारत के लिए खेल पाए तो उसमें गुरचरण सिंह का रोल अहम था. वह देश प्रेम आज़ाद के बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार जीतने वाले देश के दूसरे क्रिकेट कोच भी थे, जिन्हें 1986 में यह सम्मान मिला था.
गुरचरण सिंह ने दिल्ली में दो क्रिकेट क्लब चलाए
गुरचरण सिंह ने दो क्रिकेट क्लब, दिल्ली ब्लूज़ और नेशनल स्टेडियम क्रिकेट सेंटर चलाने के अलावा दिल्ली में द्रोणाचार्य क्रिकेट फाउंडेशन की भी स्थापना की थी. खिलाड़ियों पर उनका प्रभाव ऐसा था कि 2015 में, उनकी 80वें जन्मदिन को खास बनाने के लिए भारत और दिल्ली के क्रिकेट खिलाड़ियों ने एक प्रदर्शनी टी20 मैच खेला था.
पूर्व भारतीय स्पिनर मनिंदर सिंह ने कहा, ‘वो सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि जिंदगी में भी हमारे गुरु और कोच रहे.मुझे याद है कि मैं क्रिकेट छोड़ना चाहता था और सर मुझे लेने के लिए अपनी बाइक पर मेरे घर आए थे.’
कैसा रहा गुरचरण सिंह का सफर?
1935 में पाकिस्तान के रावलपिंडी में जन्मे गुरचरण सिंह 1947 में भारत के बंटवारे के बाद एक शरणार्थी के रूप में पटियाला आए थे. उन्होंने पटियाला के महाराजा यादविंद्र सिंह की निगरानी में अपनी क्रिकेट यात्रा शुरू की. उन्होंने पटियाला, पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ, दक्षिणी पंजाब और रेलवे की टीमों का प्रतिनिधित्व किया और कोच बनने से पहले 37 फर्स्ट क्लास मैच खेले.
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गुरचरण सिंह ने पटियाला के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से कोचिंग डिप्लोमा लिया था और फिर नई दिल्ली में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में मुख्य कोच के रूप में शामिल हुए. वो 1977 से 1983 तक नॉर्थ जोन के कोच रहे. वहीं, 1985 में वो मालदीव की क्रिकेट टीम के हेड कोच रहे थे. वहीं, 1986 से 1987 के बीच वो भारतीय क्रिकेट टीम के भी कोच रहे थे. 1992-93 में, वे लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और बीसीसीआई द्वारा संयुक्त रूप से ग्वालियर में शुरू की गई पेस बॉलिंग एकेडमी के डायरेक्टर भी रहे थे.
37 फर्स्ट क्लास मैच में गुरचरण सिंह ने एक शतक की मदद से 1198 रन बनाए थे. इसके अलावा 44 विकेट भी लिए थे.
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